Dr. Neeraj Bora - BJP MLA from Lucknow North, Uttar Pradesh.

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Neeraj Bora - Bharatiya Janata Party (BJP) MLA from Lucknow, Uttar Pradesh.

स्मृतिशेष श्री डी.पी. बोरा

7 अक्टूबर, 1940 से 13 नवम्बर, 2014

उत्तर प्रदेश की सियासत में दशकों तक दबदबा रखने वाले नेता श्री डी. पी. बोरा (श्री देवी प्रसाद बोरा) लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष तथा लगातार दो बार लखनऊ पश्चिम विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहे।

छात्र जीवन में समग्र राजनीति तथा छात्र राजनीति में गहरी रूचि और पैठ होने के कारण श्री डी.पी. बोरा 1966-67 में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये। इस दौर में अपने प्रगतिशील सोच के कारण वे जयप्रकाश नारायण सहित देश के प्रमुख राजनेताओं के सम्पर्क में आये। सत्तर के दशक में वे राष्ट्रीय छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष चुने गये और देशव्यापी छात्र आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उत्तर प्रदेश में इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। वर्ष 1966-67 में अध्यापक, छात्र, कर्मचारी, संयुक्त मोर्चे के संयोजक के रूप में राज्य कर्मचारियों के ऐतिहासिक आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें आंतरिक सुरक्षा कानून में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। वर्ष 1967 में भाषा विधेयक को लेकर हुए आन्दोलन में भी बोरा जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1969 में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में लखनऊ पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से वह विधायक चुने गये। वे 1969 में गठित उत्तर प्रदेश विधानसभा में सबसे कम उम्र के विधायक थे। श्री बोरा 1977 में पुनः लखनऊ पश्चिम से विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। राजनीतिक क्षेत्र में श्री बोरा ने कभी समझौता नहीं किया। समाज के हाशिये पर खड़े लोग उनकी प्राथमिकता के केन्द्र बिन्दु रहे और उन्होंने आजीवन उनके हितों की लड़ाई लड़ी। इस राह में जब भी राजनीतिक अड़ंगेबाजी हुई तो उन्होंने राजनीतिक खेमे को ठोकर मारकर जनता के बीच जाना स्वीकार किया।

श्री बोरा छात्र-अध्यापक तथा राज्य कर्मचारी संगठनों के अतिरिक्त लखनऊ के अनेक मजदूर आन्दोलनों से जुड़े रहे। उन्होंने लखनऊ एवरेडी कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए, सफल ऐतिहासिक हड़ताल का नेतृत्व किया। इस हड़ताल के बाद हुए समझौते से उस समय प्रत्येक कर्मचारी को कम से कम 750 रूपये की वेतन वृद्वि का लाभ मिला। समय-समय पर शहर के सौन्दर्यीकरण अभियान तथा गोमती बांध परियोजना से उजाड़े गये पिछड़े तथा कमजोर वर्ग के लोगों के पुनर्वास के प्रश्न को लेकर श्री बोरा ने 1970-80 के दशक में कड़ा संघर्ष किया और अन्ततः उनके वैकल्पिक आवास के लिए भूखण्ड दिलाने में सफल रहे। अम्बेडकर नगर, नेहरू नगर, इंदिरापुरी, अशफाकुल्लानगर, मायानगर, गोपालनगर, अकबरनगर, इन्दिरानगरी, शंकरनगर, निषादनगर आदि दलित तथा कमजोर वर्गों की बस्तियां श्री बोरा के संघर्षों की ही देन है।

गोमती नदी में मछली मारने के मछुआरों के परम्परागत अधिकार की रक्षा के लिए उन्होंने ऐतिहासिक मछुवारा आन्दोलन का नेतृत्व किया। आज भी लखनऊ जिले में गोमती नदी में मछली मारने की नीलामी नहीं होती है। गर्मियों में पीने के पानी की समस्या की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए श्री बोरा ने“घड़ा फोड़ो आन्दोलन”, “बम्बा काटो आन्दोलन” चलाया। इस आन्दोलन के परिणाम स्वरूप ही 1989 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने दूसरे वाटर वर्क्स तथा तत्कालीन राज्यपाल ने तीसरे वाटर वर्क्स का शिलान्यास किया। इसी तरह सफाई, बिजली, पानी तथा पर्यावरण आदि से सम्बन्धित समस्याओं को उजागर करने तथा उसका हल ढूंढने के लिए “लखनऊ की जन अदालत” नामक संगठन के मंच से बोरा जी ने लखनऊ के कई हिस्सों में जन अदालतें आयोजित की जिसमें उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों ने अध्यक्षता की तथा अनेक समाजसेवी संगठनों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। श्री बोरा लगभग पांच दशक तक लखनऊ ही नहीं प्रदेश के सभी प्रमुख जन आंदोलनों से जुड़े रहे।